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Episode 5
श्री बाबोसा चालीसा
ॐ नमो श्री माताजी
ॐ नमो श्री माताजी
ॐ नमो श्री बालाजी
ॐ नमो श्री बालाजी
ॐ नमो श्री माजीसा
ॐ नमो श्री माजीसा
ॐ नमो श्री बाबोसा
ॐ नमो श्री बाबोसा
बाबोसा तरण तारण हैं ।
भक्तों के भगवान् ॥
चालीसा नित उठ पढूं ।
करने निज कल्याण ॥
पूजनीय श्री बाबोसा का ।
मंत्राक्षर है नाम ॥
उनके पावन नाम ।
फलते वंचित काम ॥
जय जय बाबोसा उपकारी ।
भक्तों के हैं पालनहारी ॥
बाबोसा प्रभुवर परमेश्वर ।
बाबोसा देवों के देव ॥
बाबोसा पुरुषोतत्म इश्वर ।
बाबोसा कुलदीप जिनेश्वर ।।
जन्म स्थान है चूरू नगरी ।
माँ छग्नि के नंदन प्यारे ॥
माघशुक्ला की पंचमी आई ।
जन्मे श्री बाबोसा ज्ञानी ॥
भाद्रव शुक्ला की पंचमी आई ।
स्वर्ग पधारे बाबोसा ज्ञानी ॥
मिन्ग्सर शुक्ला की पंचमी आई ।
हनुमत रूप विराजे ज्ञानी ॥
भव-भव भंजक पाप निकंदन ।
संकताप विनाशक चंदन ॥
भक्त लगाए ध्यान जहाँ पर ।
पहुँचे बाबोसा आप वहां पर ॥
अक्षर अतुल शक्ति के स्वामी ।
घट-घट के हो अन्तर्यामी ॥
बाबोसा के हम अनुयायी ।
दर्शन दो बाबोसा सुखदायी ॥
भक्तजनों के भाग्य संवारे ।
कोठारी कुलदीप कहाए ॥
भव-भव की सब पीड़ मिटाते ।
ज्ञान-भक्ति के दीप जलाते ॥
जाप तुम्हारा भूत भगाता ।
ऊपर की सब छांव मिटाता ॥
अमृत वाणी का पान कराया ।
लाखों जन को तृप्त बनाया ॥
देव वाणी का शंख बजाया ।
जन्म-जन्म का रोग मिटाया ॥
चूरू में सब रंग लगाया ।
मंगलकारी जाप तुम्हारा ।
भक्तों को मिल जाए किनारा ॥
पावन दर्शन देव तुम्हारा ।
मंजु का है भाग्य-सहारा ॥
बजरंगी का लाल कहाए ।
है यह सच-मुच सच्चा पन्ना ॥
नाम तुम्हारा शुभ-फल दाता ।
भूत-प्रेत भय दूर भागता ॥
अन्तर्यामी शिव-पथ गामी ।
चार तीर्थ के सच्चे स्वामी ॥
बालाजी के हो अवतारी ।
भक्तों के हो संकट हारी ॥
स्वर्गलोक में बिगुल बजाया ।
भक्तों को दर्शन दिखलाया ॥
सुधा तुल्य है तेरी वाणी ।
सुन हर्षित होते नर-नारी ॥
तेरी करूणा यदि हो जाए ।
अँधा देखे गूंगा गाए ॥
बिन पानी के नाव चलाए ।
आंधी में ज्योत जलाए ॥
हम सब हैं तेरी फुलवारी ।
तू है इस बगिया का माली ॥
तेरी महिमा सबसे न्यारी ।
तू है प्रभु बाल ब्रहमचारी ॥
तुझ को हर पल याद करे जो ।
उसका पालन-हार बने तू ॥
जो तेरी जयकार लगाए ।
उसका बेडा पार लगाए ॥
भक्तों को एक डोर में लाए ।
प्रेम-भाव का श्रोत बहाए ॥
श्री बालाजी का रूप कहाए ।
बजरंगी के मनन को भाए ॥
बाबोसा आप हो घट-घट ज्ञाता ।
भक्तों के हो भाग्य-विधाता ॥
इन चरणों में मन रम जाए ।
यमराज फिर निकट न आए ॥
बाबोसा रूं रूं बस जाए ।
उनके पाप प्रलय हो जाए ॥
चालीसा यह भाग्य विधाता ।
जन-जन को है यह सुखदाता ॥
लीले की असवारी करता ।
भक्तों के दुःख पल में हरता ॥
तांती शुभ है जल है पावन ।
और भभूत है कष्ट निवारण ॥
जीवन-धन बनता संस्कारी ।
स्थिर-मन पाठ करो नर-नारी ॥
जय हो - माँ छ्गनी लाल की ।
जय हो - श्री बाबोसा महाराज की ।
जय हो - श्री दुःख निकंदन की ।
जय हो - श्री बालाजी महाराज की ।
जय हो - श्री माता रानी माँ की ।